R7 Fatty Liver Treatment in Hindi, लीवर समस्या का होम्योपैथी ईलाज

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Reckeweg R7 Liver & Gallbladder Drops in Hindi- डॉ.रेकवेग अर.७ लीवर तथा पित्ताशय सम्बन्धी ड्रॉप्स – लीवर या जिगर (Liver, Hepatic meaning in Hindi) समस्या का जर्मन होम्योपैथी ईलाज

फैटी लीवर को हेपेटिक स्टीटोसिस भी कहा जाता है। यह तब होता है जब लीवर में फैट जमा हो जाता है। आपके लीवर में कम मात्रा में वसा होना सामान्य है, लेकिन बहुत अधिक मात्रा में वसा का होना स्वास्थ्य समस्या बन सकता है। फैटी लीवर के लक्षण: थकान और कमजोरी, दाएं या मध्य उदर क्षेत्र में हल्का दर्द या परिपूर्णता, एएसटी और एएलटी सहित लीवर एंजाइम का ऊंचा स्तर, ऊंचा इंसुलिन का स्तर, ऊंचा ट्राइग्लिसराइड का स्तर. फैटी लिवर होम्योपैथिक मेडिसिन: दो होम्योपैथिक डॉक्टर डॉ. प्रांजलि और डॉ. कीर्ति फैटी लीवर के इलाज के लिए विशिष्ट होम्योपैथी दवाओं की सलाह देते हैं। अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें

मूल-तत्व : कार्डुअस मैरिएनस D2, चेलीडोनियम D2, कोलेस्टेरिनम D6, कोलोसिंथिस D6, लाइकोपोडियम D4, नक्स वोमिका D4, चायना D3.

अर.७ संकेत : यक त एवं पित्ताशय के आंगिक तथा क्रियात्मक रोग, यकृत-रोग, पित्तशायिक रोग, पथरी, पित्त के स्राव में व्यवधान, यक त का प्रदाह (Hepatitis), पेट में सूजन, थोड़ा सा भोजन करते ही भूख गायब हो जाना, भूख का आभाव, मुँह में कडुवा स्वाद, पेट-फूलना, कब्ज़, भोजन के बाद बेचैनी (Weariness), चिड़चिड़ापन, रोगभ्रम (Hypochondria in Hindi)।

लिवर टॉनिक होम्योपैथिक – एसबीएल का लिव टी

R7 in Hindi, अर.७ क्रिया विधि :
कार्डुअस मैरिएनस : लीवर में पीड़ायुक्त सूजन, पीलिया, पित्त सम्बन्धी पथरी, पित्तनली का प्रदाह ।
चेलीडोनियम : लीवर तथा पित्त वाही नली पर दबाव की अनुभूति के साथ लीवर में सूजन, जो दाँयें कंधे के छोर तक फैल जाती है, पित्त का बहाव बढ़ाने वाली औषधि (cholagogue) ।
कोलेस्टेरिनम : लीवर बढ़ना, पीलिया होना तथा पित्ताशय में पथरी बनना ।
कोलोसिंथिस : पेट में मरोड़ वाली पीड़ा, कपड़ों का दबाव भी सहन नहीँ होता । पीड़ा उठने पर, पेट पर दबाव डालने से तथा आगे झुकने से सुधार होता है ।
लाइकोपोडियम : अफारा तथा पेट फूलना, मुँह में कडुवा स्वाद, शरीर से निकलने वाला गन्दा स्राव, कब्ज़ियत ।
नक्सवोमिक : रोगभ्रम (Hypochondria), लीवर की सिकुड़न तथा रक्तसंलयी अवस्था, मितली, तंबाकू खाने व शराब पीने से होने वाली व्याधियां, पीलिया, पेट तथा ग्रहणी (Gastro-duodenal in Hindi) सम्बन्धी नजला, कब्ज़ियत । अफारा, पेट में सूजन, पेट फूलने के साथ उदर शूल ।

अर.७ खुराक की मात्रा: भोजन के पूर्व दिन में तीन बार थोड़े पानी में 10-15 बूँदें लें । यदि 8-14 दिन में कोई सुधार नही होता, तो दिन में 4-6 बार 10-15 बूँदें लें तथा सुधार होने पर खुराक कम कर दें । तकलीफ के पूरी तरह से समाप्त होने के बाद भी, थोड़े लंबे समय तक दिन में 1-3 बार 10-15 बूँदें लेते रहें, आहार पर विशेष ध्यान दें ।

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R7 in Hindi, टिप्पणी : लीवर तथा पित्त की थैली के प्रदाह युक्त रोगों के लिए अतिरिक्त औषधि के रूप में R 1 का भी प्रयोग करें ।

साथ ही उदर सम्बन्धी रोगों (जठर शोथ, व्रण) में R 5 का भी प्रयोग करें ।

व्रण (ulcers) में दिन में तीन बार, भोजन के पूर्व R 5 की 10-15 बूँदें लें, तथा दो भोजनों के बीच दिन में 2-4 बार 10-15 बूँदें R 7 लें ।

बवासीर में अतिरिक्त औषधि के रूप में R 13 का भी प्रयोग करें ।

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33 विचार “R7 Fatty Liver Treatment in Hindi, लीवर समस्या का होम्योपैथी ईलाज&rdquo पर;

    1. यदि आप एक वयस्क हैं और पेट में परेशान होने से पीड़ित हैं, यदि आप एंटैसिड ले रहे हैं जिसमें एल्यूमीनियम हाइड्रॉक्साइड होता है, तो आपको कब्ज हो सकती है । इसके बजाय डेयरी उत्पादों (दूध, पनीर, दही, आइसक्रीम, मक्खन) जैसे प्राकृतिक एंटीसिड्स लें। पेट की बीमारियों के लिए डॉ.रेकेजेग आर ५, एलेन १५ बूंदें, हेवेर्ट गैस्ट्रो-आंतों की राहत की गोलियाँ, श्वाब गैस्ट्रोबिन जैसे होम्योपैथी दवाएं संकेत हैं अपने सिस्टम को संतुलित करने के लिए यकृत टॉनिक भी लें

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    1. इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, या आईबीएस, आंत्र की आदतों (बॉवेल हैबिट्स ) में परिवर्तन के साथ पेट दर्द या तो दस्त या कब्ज का कारण बनता है। आईबीएस के लक्षण ब्लोटिंग या गैस डिस्टेंशन, कब्ज, दस्त, ऐंठन के लक्षण होते हैं. आप आईबीएस के लिए क्या कर सकते है? उच्च फाइबर आहार लें, शारीरिक व्यायाम करें, तनाव का प्रबंधन करें और रिलैक्स की तकनीकें सीखें| आईबीएस के लिए होम्योपैथी चिकित्सा – आर 4, ए 70, बायोकॉम्बिनेशन 8, श्वाबी अल्फा डीपी गोलियों

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    1. कई कारणों से पीलिया वयस्कों में होता है, क्रोनिक हैपेटाइटिस से पीलिया हो सकती है और यह तब होता है जब रक्त में बहुत बिलीरुबिन (पीला रंगद्रव्य) होता है| बिलीरुबिन स्तर को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम / डीएल) में मापा जाता है, वयस्क और बड़े बच्चों में 0.3 और 0.6 एमजी / डीएल का स्तर होना चाहिए. पीलिया के लिए होम्योपैथिक दवाएं चेलिडोनियम माज, लाइकोपॉडियम क्लै, नक्स वोमिका हैं. पीलिया के लिए R7 के अलावा अन्य विशेष होम्योपैथी दवाएं; स्कवाबे कार्डस पेंटार्कन , एलेन ए 18 ड्रॉप्स, एचटीटीपी 61 गोलियां

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      1. यदि एसजीपीटी 35 से ऊपर है, तो इसे उच्च माना जाता है, यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों या स्थितियों से जिगर की क्षति या चोट का संकेतक है. कृपया उचित निदान के लिए डॉक्टर से परामर्श करें

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    1. यदि यकृत क्षतिग्रस्त हो गया है, तो यकृत कोशिकाएं इन एंजाइमों को रक्त में फैलती हैं, SGOT और SGPT एंजाइम रक्त के स्तर को बढ़ाती हैं और यकृत रोग को संकेत देती हैं। एक उचित निदान और उपचार की आवश्यकता है, आप इस मामले में होम्योपैथ से परामर्श कर सकते हैं और आपकी हालत के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

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    1. होम्योपैथी दवाएं जैसे कोलेस्ट्रिनम 3/6 एक्स (जिगर की आकर में वृद्धि और बंद हो जाना), चेलिडोनियम (यकृत वृद्धि को हटा देता है) और एंटीमोनियम टार्ट संकेतित दवाओं में से कुछ हैं

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  1. हमारी लीवर में 6 महीने पहले पस हो गया था तो उसको ऑप्रेशन कर के निकाल दिया गया है, लेकिन हमारी दर्द पहले की तरह रहता है किरप्या हमको कोन सी medician लेना चहिए प्लीज बताइए,

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