रेकवेग अर ३४ ड्रॉप्स-हड्डियों में दर्द, रिकेट्स का होम्योपैथी इलाज

Homeopathy medicine for rickets in hindi , bone diseases , Reckeweg R34 drops in hindi

Reckeweg R34 recalcifying drops in Hindi- डॉ रेकवेग अर ३४ बूंदे – हडि्डयों के गठन पर क्रियाशील, पुनः कैल्सीकरण ड्रॉप्स (हड्डियों के उपचार के लिए जर्मन होम्यपैथि दवा).हालांकि हड्डी का दर्द, हड्डी की घनी घनत्व (low bone density) या हड्डी की चोट के कारण होने की संभावना है, यह भी एक गंभीर अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति का संकेत हो सकता है। अस्थि दर्द या हड्डीयों में कोमलता संक्रमण का परिणाम हो सकता है, रक्त की आपूर्ति में एक रुकावट या कैंसर हो सकता है।

रिकेट्स के कारण हड्डीयों में दर्द, खराब वृद्धि और कंकाल की विकृति, जैसे धनुष पैर, रीढ़ की वक्रता, और टखनों, कलाई और घुटनों का मोटा होजाना संभव है । रिकेट्स से पीड़ित बच्चे फ्रैक्चर की शिकार बनने का अधिक संभावनाएं हैं।

मूल-तत्व : कैल्शियम फ्लौर D12, कैल्शियम फॉस D12 , कैल्शियम कार्ब D30, कैल्शियम हाइपोफॉस D6, कैमोमिला D6, हेकला लावा D12, मर्क्युरियस प्रेसी रुब्रम D12, साइलीशिया D30, मेजेरियम D6.

लक्षण : काल्सियममय ऊतकों तथा हडि्डयों के विकास में बाधा, अस्थि- प्रणाली में विकृति जन्य लक्षण (Pathological characteristics); अध्यास्थिता (exostosis in hindi), अस्थि-आवरणशोथ (Periostitis in hindi), हडि्डयों का भुरभुरापन, आस्थिम दुता, हड्डियों का टेढ़ा-मेढ़ा होना (rickets in hindi), नितंब-संधिशोथ (coxitis) तथा जोड़ों का प्रदाह (arthritis), साथ ही केन्द्रित मज्जा (पूरक औषधि के रूप में ) ।

क्रिया विधि : विविध प्रकार के कैल्शियम सम्मिश्रण जो कैल्शियम के उपापचय (metabolism) को प्रचुरता से प्रभावित करते हैं, तथा निम्नलिखित लक्षणों के अनुसार कार्य करते हैं :

कैल्केरिया फ्लोर : दाँतों पर कार्य करता है, विशेषकर दन्तवल्क (enamel) पर ।

कैल्क हाइपोफॉस्फ : गर्भावस्था में कैल्शियम की उत्पादन पर नियामक प्रभाव डालती है ।

कैल्कफॉस्फ : हड्डियों के विकास में अवरोध, कैल्शियम उत्पादन में कमी, रक्त की कमी वाले बच्चों में पुराना सिर दर्द ।

कैमोमिला : क्रोधयुक्त चिड़चिड़ापन, सिर में पसीना, बच्चों में दाँत निकलने सम्बन्धी तकलीफ ।

हेकला लावा : पैरों की हड्डी अप्राकृतिक रूप से बढ़ना ।

मेज़ेेरियम : हडि्डयों की त्वचा में जलन तथा पीड़ा, विशेषकर पिंडली की हड्डी, बाँह के ऊपरी भाग पर, तथा छाती की हड्डी में ।

मर्क्युरियस प्रेसी रुब्रम : हडि्डयों में किसी प्रकार की कमी होना, हड्डी बढ़ जाना तथा अस्थि आवरक झिल्ली में प्रदाह होना साथ में रात को हडि्डयों में दर्द होना ।

साइलिशिया : शारीरिक विकास की गति बढ़ाती है, हडि्डयों के नासूरों (fistulae) को नष्ट करती है ।

खुराक की मात्रा : स्तन-पान करते शिशुओं तथा बढ़ती उम्र के बच्चों को दिया जाता है, नियमित रूप से दिन में एक या दो बार 10-15 बूँद (शिशुओं के लिए उनके सामान्य दूध में मिलकर बोतल को अच्छी तरह से हिलाकर देना श्रेष्ठ होगा) । हड्डियों का टेढ़ी-मेढ़ी होना (Rickets) या हड्डियों के अन्य रोगों में पहले ही लिए गए विटामिन के साथ भोजन के पूर्व दिन में 4-6 बार थोड़े पानी में 10-15 बूँदें दें । रात में हड्डियों में होने वाले दर्द के लिए लगातार खुराक लेनी चाहिए । प्रत्येक 1/4 घंटे पर 10-15 बूँदें । साथ ही फुलर्स मिट्टी या उपचारकारी मिट्टी भी बाँधी जा सकती है : जो हड्डियों के नासूर में भी प्रयोग होती है । शूकर-माँस का प्रयोग बिलकुल नहीँ करना चाहिए ।

बच्चों में कठिनता से दाँत निकलने में लंबे समय तक प्रतिदिन 3-4 बार दें; तथा तेज़ दर्द होने पर, प्रत्येक 10 मिनट पर थोड़े पानी में 8-10-15 बूँदें दें ।

डॉ. रेक्वेग के अन्य थेरप्यूटिक दवाईयों की सूची

टिप्पणी : पीड़ा युक्त दाँत निकलना : R 35 भी

त्वचा के रूसीदार प्रदाह (craddle cap) में : यदि आवश्यकता हो तो R23 भी

अत्याधिक पसीना आने पर (Hyperhydrosis) में : R 32 से तुलना करें

हड्डियों के जोड़ों के प्रदाह (Osteo arthritis in hindi) में : R 37 भी

कशेरुका चक्रों (Vertebral discs) की हड्डियों तथा उपस्थियों के प्रदाह, कशेरुका अस्थि संधिशोथ (Vertebral osteo-arthritis) में : R 11 भी लें ।

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s