R31 Homeopathy Drops Hindi – उत्कृष्ट जर्मन होम्योपैथी दवाएं उन बच्चों के लिए इंगित हैं जो खाना ठीक से नहीं खाते या उन लोग जो भूख और एनीमिया की कमी से पीड़ित हैं| यह यकृत और रक्त उत्पादन वाले अंगों को सक्रिय करता है
मूल-तत्व : अरेनिया डायडेमा D30, आर्सेनिकम आयोडेट D6, सीयानोथस आमेरिक D6, फेरम क्लोरैट D6, लाइकोपोडियम D12, सल्फर D 30, चायना D 6.
लक्षण : खून की कमी, भूख ना लगना, विशेषकर बच्चों में, अक्सर सूजन के साथ । तीक्ष्ण रोगों (acute diseases) के कुपरिणाम । अन्य रोगों के कारण होने वाली सभी प्रकार की खून की कमी ।
क्रिया-विधि :
चिकित्सकीय प्रक्रिया दोतरफा है; यह लीवर की किण्वित प्रणाली की उत्तेजना द्वारा लीवर की ओर प्रेषित की जाती है (लाइकोपोडियम), और कुछ चुने हुए उद्दीपकों के द्वारा अस्थि-मज्जा को प्रभावित करती हैँ (फेरम क्लोरैटम) । कोशिका सम्बन्धी उपापचय (cellular metabolism) में आर्सेनिक आयोडेटम का लाभकारी प्रभाव होता है अथार्त् किया रक्त-उत्पादक प्रणाली तक फैलती है तथा पुनः, प्लीहा (spleen) की प्रक्रिया पर लाइकोपोडियम के प्रभाव द्वारा यह बढ़ जाता है, जिसे सीयानोथस, अमेरीकेनस द्वारा शक्ति प्राप्त होती है ।
उपचार के कुछ ही दिनों के दिनों बाद दवा की प्रक्रिया प्रत्यक्ष हो जाती है अथार्त् शरीर को अधिक प्रभावित किए बिना भूख और रक्त बढ़ जाता है, वसा का कोई संचय नहीं होगा । होम्योपैथिक दवाएं सदा विष-रहित तथा संतुलनकारी तरीके से कार्य करती हैं । R 31 की तकनीकी प्रक्रिया को निम्नलिखित लक्षणों के रुप में दिखाया गया है रुप में दिखाया गया है :
अरेनिया डायडेमा : मौसम परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता ।
आर्सेनिकम आयोडेटम : ऊतकों में हुए परिवर्तनों पर चुनी हुई क्रिया, कोशिका संबंधी उपापचय को प्रभावित करता है ।
सीयानोथस आमेरिक : चोटग्रस्त प्लीहा (Injured Spleen) (जैसे कि मलेरिया के बाद) पेट में दर्द (बाँयी ओर) रक्त उत्पादन एवं संचरण में बाधा ।
फेरम क्लोरैट : दितीय श्रेणी की अल्परक्तता; रक्त कणों की संख्या में वद्धि ।
लाइकोपोडियम : यकत (liver) की सूजी हुई अवस्था (बाँयी ओर दर्द), भूख का अभाव (जल्दी तप्ति), की स्थिति में एक बलवर्धक एवं क्रियात्मक औषधि (Tonic); पेशाब में जलन के कण (Red sand) ।
सल्फर : प्रतिक्रिया भेजने वाला तत्व, संपूर्ण सल्फर सम्बन्धी उपापचय को सक्रिय करती है । सिर की ओर रक्त का अधिक बहाव, बाधित संचरण ।
खुराक की मात्रा :
सामान्य नियम : भोजन के पूर्व दिन में तीन बार थोड़े पानी में 10-15 बूँद ।
उपचार के प्रारंभिक दिनों में, प्रकट खून की कमी में, लगातार खुराक, प्रतिदिन 6-10 बार 10-15 बूँद तक दें । सुधार होने पर, खुराक कम करके 2-3 बार कर् दें । बच्चों को बहुत अधिक चॉकलेट, मिठाई तथा अंडे ना खिलायें, क्योंकि इससे लीवर पर अधिक जोर पड़ता है और भूख कम हो जाती है ।
बच्चों के लिए अनुमोदित भोजन : दूध की खीर (Pudding), जई का दलिया, सब्जियाँ और फल। माँस को पूरक भोजन के रूप में माना जाता है जबकि किसी भी रुप में पोर्क, बेकन, सॉसेज, हैम, आदि नहीं लेना चाहिए ।
यह उन व्यस्कों पर भी लागू होता है जिन्हें खून की कमी है ।
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टिप्पणी :
रोग निवत्ति के दौरान पुनर्स्वास्थ्य लाभ के लिए : वीटा-सी 15 देखें ।
अन्तः स्रावी (endocrine) व्यावधान में : R 19, अथवा R 20 देखें ।
सर्वांगीण कमज़ोरी में : R 26 से तुलना करें ।
उपर्युक्त मिश्रण R1 के साथ अथवा उसके विकल्प के रुप में किया जा सकता है, जो लक्षण ऊपर निर्भर करता है ।