डॉ.रेकवेग अर.१८ किडनी व ब्लाडर ड्रॉप्स (गुर्दे और पेशाब की थैली के लिए) – गुर्दों और मूत्रा शय रोगों का ईलाज जैसे सूजन, मूत्र में जलन की अनुभूति, मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI Infection in Hindi), मूत्र पीला होना इत्यादी
मूल-तत्व : बर्बेरिस D 4, कैंथरिस D 4, डल्कामारा D 4, इक्वीसेटम हेम D 6, यूपेटोरियम पर्प D 3.
लक्षण : गुर्दों का प्रदाह, त्रिकास्थि में पीड़ा, उदरावरण शोथ (peritonitis), गर्भाशय का प्रदाह (metritis), मूत्राशय में चुभने वाला दर्द, मूत्राशय में जलन, मूत्रत्याग के समय ज्वलनशील पीड़ा, पीला पेशाब, मिट्टी जैसा ।
क्रिया विधि :
बर्बेरिस : व क्कीय क्षेत्र में चुभने वाला दर्द जो दबाव से बढ़े, त्रिकास्थि भाग में दर्द, पीठ में अकड़न तथा सुन्नपन, त्वचा के भीतर पानी का प्रवाह होने की अनुभूति ।
कैंथरिस : व क्क भाग में धीमा-धीमा दर्द, मूत्रत्याग के समय जलन के साथ दर्द, बार-बार मूत्रत्याग की इच्छा, बूँद-बूँद मूत्रत्याग, जो लालिमायुक्त, चिपचिपा, रक्तयुक्त हो । मूत्राशय का प्रदाह ।
इक्वीसेटम हेम : इसमें साइलिसिक अम्ल होने के कारण गुर्दों और मूत्राशय पर कैंथरिस जैसी ही प्रभावशाली क्रिया करती है । मूत्राशय की ऐंठन तथा रक्तयुक्त पेशाब को कम करती है । नींद में पेशाब कर देना (enuresis), मूत्राशय में उत्तेजना (irritation) (मुख्यतः महिलाओं में), पेशाब में एल्बूमिन (सफेदी) तथा रक्त । यूरिक अम्ल (मूत्रत्याग के दौरान दर्द करने वाले) को नष्ट करती है ।
यूपेटोरियम पर्प : मूत्राशय की उत्तेजना (urinary tract irritation) में विशेष उपयोगी । मूत्रत्याग की लगातार इच्छा, पीड़ाप्रद, प्रचुर मूत्र अथवा मूत्र का सर्वथा अभाव, रंगीन, चिपचिपा मूत्र ।
डल्कामारा : मूत्राशय में उत्तेजना (irritation),मूत्रत्याग की लगातार तथा पीड़ायुक्त इच्छा । मूत्रत्याग के दौरान प्रचुर मूत्र अथवा सर्वथा अभाव, जो रंगीन, चिपचिपा होता है । मूत्राशय की पक्षाघात स्थिति (Paralyzed) होना, नम मौसम में तकलीफ बढ़ना । मूत्राशय की श्लेष्मिक झिल्ली पर विशिष्ट प्रभाव । पेशाब में दुर्गंध ।
खुराक की मात्रा : तीक्ष्ण मूत्राशयशोथ (acute cystitis in Hindi) में तथा मूत्राशय-व क गोणिका प्रदाह (acute cystopylitis) में, प्रारंभ में प्रत्येक घंटे थोड़े पानी में 10 बूँदें लें; तदुपरांत, प्रत्येक दो घंटे पर लें । जैसे ही सुधार आरंभ हो, दिन में 3-4 बार थोड़े पानी में 10-15 बूँदें लें ।
पुराने मूत्राशयशोथ (Cystitis), मूत्राशय-व क्क-गोणिका प्रदाह (Cysto-pyelitis) में तथा जीवाणुमेह (bacteriuria) में : प्रतिदिन भोजन के पूर्व 2-3 बार थोड़े पानी में 10-15 बूँदें लें, जब तक की लक्षण पूरी तरह गायब नहीं होते ।
मूत्राशय में जलन होने पर : प्रतिदिन एक या दो बार पानी में 10-15 बूँदें लें ।
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टिप्पणी : गुर्दे की पथरी (Nephrolithiasis) में अतिरिक्त औषधि के रूप में R 27 की 10-15 बूँद दिन में दो बार दें ।
प्रोस्टेट ग्रंथि के प्रदाह में : R 25 के साथ R 18 बारी-बारी से दें ।
पेशाब में प्रोटीन जाना (Albuminuria), व क्काशोथ, तथा पुराने व क्क प्रदाह में : अतिरिक्त औषधि के रूप में R 64 भी दें|
Very good results for r18 medicine
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