मिर्गी एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र विकार (तंत्रिका संबंधी विकार) है जिसमें मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका गतिविधि बाधित हो जाती है, जिससे दौरा पड़ने या असामान्य व्यवहार, उत्तेजना और कभी-कभी चेतना की हानि होती है। मिरगी का उपचार के लिए रेकवेग अर ३४ ड्रॉप्स एक विश्वसनीय होम्योपैथलाज विकल्प है
मस्तिष्क में विद्युतीय गतिविधि की अचानक वृद्धि के कारण बरामदगी होती है – मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि का अधिभार होता है। इससे मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच संदेश सिस्टम में एक अस्थायी परेशानी होती है। जब्ती के दौरान रोगी का मस्तिष्क “रुका हुआ (halted)” या “मिश्रित (mixed up)” हो जाता है
मिर्गी, आज, ज्यादातर दवाओं के साथ इलाज किया जाता है| ड्रग्स मिर्गी का इलाज नहीं करते हैं, बलकि वे अक्सर इस दौरे का बढ़ावा कर सकते हैं। मिर्गी से पीड़ित लगभग 80% लोग आजकल कुछ समय तक दवाओं द्वारा अपने दौरे का नियंत्रण कर रहे हैं
मूल-तत्व : ब्यूफो D200, क्यूप्रम D12, पल्साटिल्ला D30, साइलीशिया D30, ज़िंकम मेट D 12, बेलाडोना D30.
लक्षण : मिरगी (एप्लीलिप्सी) तथा मिरगी के दौरे (Epilepsy in Hindi), माँसपेशियों में मरोड़
क्रिया-विधि : विशिष्ट चिकित्सकीय प्रतिजनों (antigens) से प्राप्त मूल-तत्व ।
बुफो : मिरगी के दौरे तथा बढ़ती हुई कमज़ोरी के लिए विशिष्ट दवा
क्युप्रम : हर प्रकार को मरोड़ के लिए, उदाहरणार्थ, जाँघों के, तथा विशेष रूप से मिरगी सम्बन्धी मरोड़ । प्रमस्तिष्कीय संकुलन (Cerebral congestion in hindi).
पल्साटिल्ला : सामान्यतः विपरीत क्रिया करने वाले प्रभावों को बढ़ाती है, अथार्त् जो रोग पहले दब जाते हैं वे विपरीत प्रभावों द्वारा पुनः प्रकट हो जाते हैं ।
साइलीशिया : पैरों का पसीना दब जाने के कारण उत्पन्न होने वाले दुष्परिणाम । सरंचना पर क्रिया ।
ज़िंकम : मिरगी में विभिन्न लाभकारी प्रभाव, त्वचा के दबे हुए रोग को ऊपर लाता है ।
खुराक की मात्रा : सामान्यतः प्रतिदिन 2-3 बार थोड़े पानी में 10-15 बूँदें, लंबे समय तक ।
दौरे के पूर्व या बाद में दो घंटे तक प्रत्येक 1/2 घंटे पर 20 बूँदें लें ।
उपचार के 3 माह की अवधि के बाद खुराक कम करके प्रतिदिन एक बार 10-15 बूँदें दे सकते हैं ।
मूल्य: २00 Rs: (10% Off) ऑनलाइन खरीदो!!
टिप्पणी : R 36 को उपयोगी पूरक दवा समझा जाता है तथा उसके अन्तर्गत लक्षणों से तुलना कर लें :
बेचैनी एवं उत्तेजना में : R 14 से तुलना करें ।
हीस्टीरिया सम्बन्धी दौरों में : R 47 देखें ।
दाँत निकलने के समय दौरे : R 35
अतिपेशी उत्तेजना (tectany) तथा गर्भाक्षेप (eclampsia) में : R 34 देखें ।