मूल-तत्व: फेरम फॉस्फोरिकम D 12, लिथियम कार्ब D 12, नैट्रियम सल्फ्यूरिक D 30, नक्स वोमिका D 30 , रोडोडेन्ड्रान D 6, स्पाईरिया अल्मेरिया D 12.
लक्षण: बांहों और हाथों का आमवात (Rheumatism) तथा गठिया होने पर, साथ में जोड़ों की सूजन। तीव्र अवस्था में जोड़ों की सूजन और चेतनाशून्यता जो विकृत अंग वाले संधिवात (arthritis) में होता है।
मौसम परिवर्तन (आद्रता) के साथ ऐसे दर्द लगातार बढ़ते जाते हैं। इस औषधि का उपयोग अन्य प्रकार के आमवात (rheumatism) में भी किया जाता है जैसे घुटनों का आमवात (rheumatism), कंधों का आमवात (rheumatism), त्रिकास्थि भाग (Sacral region) में दर्द, कूल्हों के जोड़ों का प्रदाह, पसलियों के बीच वातशूल, सिर के पिछले भाग का आमवात।
क्रिया विधि: प्रस्तुत औषधि का उपयोग ऐसी ज्वरीय संक्रमणों में भी किया जा सकता है जिनकी उत्पत्ति नमी के कारण होती है या जो नमी के कारण बढ़ते हैं।
फेरम फॉस: प्रदाह रोधक, आमवात (Rheumatism) में लगातार होने वाले द्वित्तीयक रक्ताल्पता (secondary anaemia) तथा अंग विकृति वाले जोड़ों के प्रदाह (Arthritis) को प्रभावित करती है।
लिथियम कार्ब: आमवात (Rheumatism) तथा गठिया में विशिष्ट प्रभाव, साथ ही अंग विकृति वाले जोड़ों का प्रदाह (Arthritis) तथा आमवाती-गठियावाती की बीमारियों में भी।
नैट्रियम सल्फ: आमवात (Rheumatism) तथा दमा में नमी के कारण रोगवृध्दि।
नक्स वोमिका: सो कर उठने पर तकलीफ का बढ़ना, तथा सुबह निम्न चेतना।
रोडोडेन्ड्रान: पुराना आमवात (Rheumatism), हाथों व पैरों में दर्द तथा मुख्यतः बाहों और हाथों की हड्डियों में।
स्पाईरिया अल्मेरिया: स्पंदित (Fluttering) दर्द जो कोहनी के जोड़ों पर स्थित रहे।
खुराक की मात्रा: दर्द की तीक्ष्णता के अनुसार अपनाई जायेगी। सामान्यतः प्रतिदिन २-३ बार कुछ लंबे समय तक भोजन के पूर्व थोड़े पानी में १०-१५ बूँदें (इन्हें अन्य पूरक दवाओं के साथ विकल्प रूप में प्रयोग कर सकते हैं)। तीक्ष्ण स्थितियों में प्रत्येक १ घंटे पर १० बूँदें लें। सुधार होने पर प्रत्येक २-३ घंटे पर १०-१५ बूँदें लें (साथ ही अन्य पूरक दवायें-सुबह, दोपहर और रात को)।
टिप्पणी: पूरक दवायें:
R 1, टॉंसिलों में उत्पन्न दर्द अथवा हृदय शूल के बाद होने वाला जोड़ों का प्रदाह।
R 6, बुखारयुक्त संक्रमण में अथवा भीगने के बाद होने वाले इन्फ्लूएन्जा में।
R 11, सामान्यतया आमवाती (Rheumatism) संरचना में।
R 16, आधा सीसी के दर्द (migraine) और नाड़ियों के दर्द में (त्रिकास्थि भाग से आने वाला और नाक तक फैलने वाला)
R 24, पसलियों के बीच वातशूल (intercostal neuralgia) में।
R 50, महिलाओं की त्रिकास्थि संबंधी शिकायतों में, अंततः साथ ही कशेरुका के साथ-साथ दर्द।
प्रारंभ में केवल R 46 का प्रयोग बेहतर होता है (विशेषकर जब दर्द हाथों के जोड़ों में स्थित हो), तत्पश्चात २ या ३ पूरक दवाओं के साथ मिलाकर दवा लें।
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Sir meri age 55year he mera rh jayda he mujhe 3month se fever dono solder me dard he night me dard fever jayda hota he me rat me so nahi pata hu rat pesab 3 bar jana padta he sir please
Medicine likhe. dhanybad.
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Very nice job sir
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Sir meri maan ki umar 56 varsh h aur inko gathya baye ki bimari h aur sujan bhi rahta h Rokveg R46 use karrahi h dard aaram nahi horaha h 45 din hogaya kuchh upaye bataye
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कृपया डॉक्टर द्वारा सलाह दी गई गठिया उपचार होम्योपैथी दवा किट दवाओं की जाँच यहाँ करें
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