डॉ.रेकवेग R53 drops in Hindi, Acne Treatment medicine, मुहासों का होमियोपैथी इलाज, जर्मन सीलबंद होमियोपैथी दवा
मूल-तत्व : अमोनियम ब्रोमैटम D12, ब्रोमम D12, हैपर सल्फ D30, जुग्लैन्स D30, कालियम ब्रोमैट D12, लेडम D30, नेट्रियम ब्रोमैट D12, नेट्रियम क्लोरैट D200, वॉयोला-ट्राई. D12, प्लेसेंटा D12.
लक्षण : यौवनारंभ में मुँहासे, फुंसियाँ, त्वचा पर पीब वाले मुंहासे (दानें), एक्जीमा तथा चमड़ी का प्रदाह।
R53 Drops Hindi क्रिया विधि : मुँहासे तथा फुंसियाँ यौवनारंभ पर तब होते हैं, जब उत्पादक सम्बन्धी ग्रंथियों की क्रियाशीलता अपर्याप्त होती है। इस कारणवश, इस मिश्रण के सत्त्वों तथा चूर्ण का प्रयोग लाभकारी है संयोजी ऊतकों पर इसकी संरचनात्मक क्रिया के कारण तथा उत्पादक सम्बन्धी ग्रंथियों के उद्दीपन पर इसका समुचित प्रभाव होता है।
ब्रोमम तथा ब्रोमाइन नमक जैसे मूल-तत्व का चयनित तथा विपरीत प्रभाव होता है, जो त्वचा रोगों में “ARNDTSCHULZ” के नियम के अनुसार होता है।
जुग्लैन्स : मुँहासे पर विशिष्ट प्रभाव विशेषकर युवा लड़कियों के चेहरों पर। फुंसियाँ तथा कीलें।
लेडम : पीबयुक्त दानों पर विशिष्ट प्रभाव होता है।
हैपर सल्फ : पीबयुक्त किलों में क्रिया करती है।
नेट्रियम क्लोरैट : विशिष्ट रूप से क्रिया करती है, जब मुँहासे खोपड़ी तक सीमित हों।
वायोला ट्राईकलर : स्वेदराजिका (छोटे-छोटे दानें), पीबयुक्त फुंसियाँ होने के साथ पपड़ियां बनना, सारे शरीर में उभरे हुए छोटे-छोटे दानें निकलना, विशेषकर चेहरे तथा कानों पर। तेज खुजली। खून साफ करने वाली औषधि।
खुराक की मात्रा : प्रतिदिन ३ बार भोजन के पूर्व थोड़े पानी में १०-१५ बूँदें। पीब बहने की तीक्ष्ण अवस्था तथा जलन में यही खुराक प्रत्येक १-२ घंटे पर लें।
वर्तमान दवा का प्रभाव व्यर्थ न जाए इसके लिए विषीकृत पदार्थों को ग्रहण न करना सबसे महत्वपूर्ण होगा, विशेषकर शकूर माँस, बकरी की रान का पिछला हिस्सा, हैम तथा किसी भी प्रकार की सॉसेजेस को। ये तत्व पीब बनाने में तथा मुँहासे के बनने में सहायक होते हैं। सॉसेज का एक छोटा टुकड़ा भी वर्तमान दवा के प्रभाव पर घातक प्रभाव डाल सकता है।
टिप्पणी : पूरक दवायें :
R1, पीब बनने की प्रक्रिया उग्र हो तो।
R19, या R20 ग्रंथीय उत्पादक सम्बन्धी प्रणाली की क्रिया को शक्ति प्रदान करने के लिए।
R31, खून की कमी, भूख का अभाव तथा अत्यंत थकान (आमतौर पर युवा लड़कियों में पाई जाने वाली)
इसके साथ ही, आँतीय प्रक्रिया को नियमित करना भी महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए, R37 का सेवन करें।
खून साफ करने के लिए : अतिरिक्त औषधि के रूप में R60 की भी दिन में दो बार १०-१५ बूँदें लें।
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