बच्चों में कृमि संक्रमण के लक्षण, कारण और होम्योपैथिक उपचार के लाभ

कृमि संक्रमण बच्चों में एक आम समस्या है, जिसमें पिनवर्म, राउंडवर्म, टेपवर्म और हुकवर्म जैसे कृमि शामिल होते हैं। ये संक्रमण पेट और आंतों को प्रभावित करते हैं और बच्चों में कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। होम्योपैथिक चिकित्सा में कृमियों के उपचार के लिए कुछ महत्वपूर्ण औषधियां मौजूद हैं, जो इस समस्या को प्रभावी रूप से नियंत्रित करती हैं और शरीर को संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने में भी सहायता करती हैं।

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कृमि संक्रमण के लक्षण

  • गुदा और योनि में खुजली – अक्सर पिनवर्म संक्रमण से जुड़ी होती है।
  • चिड़चिड़ापन और अनिद्रा – बच्चों में कृमि संक्रमण से यह सामान्य प्रतिक्रिया होती है।
  • पेट दर्द – मुख्य रूप से पेट के निचले हिस्से में दर्द जो दबाव देने पर राहत मिलती है।
  • अत्यधिक भूख और वजन घटने की समस्या, खासकर जब बच्चे को बार-बार भूख लगती है लेकिन वजन नहीं बढ़ता।
  • दांत पीसना – यह अक्सर सोते समय दिखाई देता है और यह मुख्यतः कृमि संक्रमण का संकेत होता है।

कृमियों के लिए प्रमुख होम्योपैथिक दवाएं और उनके उपयोग

  1. सिना (Cina)
    • उपयोग: सिना कृमि संक्रमण में उपयोग की जाने वाली प्रमुख होम्योपैथिक दवा है। इसका उपयोग अत्यधिक भूख, चिड़चिड़ापन, सोते समय दांत पीसने, नाक और गुदा खुजली, और पेट में ऐंठन के लिए किया जाता है।
    • लक्षण: बच्चा चिड़चिड़ा, गुस्सैल होता है, नाक में खुजली करता है और सोते समय दांत पीसता है। अगर पेट दर्द हो तो इसे दबाने से राहत मिलती है।
  2. टेक्यूरियम (Teucrium)
    • उपयोग: यह दवा मुख्य रूप से गुदा में खुजली के लिए उपयोगी है, जो अक्सर पिनवर्म संक्रमण का लक्षण होता है।
    • लक्षण: गुदा में रेंगने जैसी भावना के साथ खुजली, जो शाम के समय या सोते समय बढ़ जाती है।
  3. स्पिजेलिया (Spigelia)
    • उपयोग: यह पेट के निचले हिस्से में दर्द के लिए अत्यधिक प्रभावी है, विशेषकर जब दर्द नाभि के आसपास केंद्रित होता है।
    • लक्षण: पेट में ऐंठन, खींचने जैसा दर्द, जो कभी-कभी उल्टी के साथ आता है।
  4. नैट्रम म्यूर (Natrum Mur)
    • उपयोग: अत्यधिक भूख की समस्या में कारगर है, खासकर जब भोजन के तुरंत बाद फिर से भूख लगती है। इससे वजन बढ़ने में समस्या होती है।
    • लक्षण: बच्चा अक्सर खाने के बाद भी भूखा महसूस करता है और वजन में कोई वृद्धि नहीं होती।
  5. एब्रोतानम (Abrotanum)
    • उपयोग: बच्चों में चिड़चिड़ेपन, वजन घटने, और मांसपेशियों में कमजोरी के लिए प्रभावी है।
    • लक्षण: बच्चा कमजोर होता है, वजन नहीं बढ़ता और बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा रहता है। अक्सर त्वचा पीली पड़ जाती है और भूख के बावजूद वजन नहीं बढ़ता।

अन्य महत्वपूर्ण दवाएं

  • सैन्टोनिनम (Santoninum) – यह दवा भी कृमि संक्रमण के कारण होने वाले दांत पीसने की समस्या में प्रभावी है, विशेषकर रात के समय।
  • कैलैडियम (Caladium) – योनि में खुजली के लिए उपयोगी, खासकर जब यह कृमि संक्रमण से हो।
  • मर्क सोल (Merc Sol) – दांत पीसने के साथ-साथ मुंह से अधिक लार निकलने की समस्या के लिए उपयोगी है।

होम्योपैथिक चिकित्सा के लाभ

होम्योपैथी बच्चों के लिए विशेष रूप से सुरक्षित है क्योंकि इसमें दवाएं प्राकृतिक, गैर-विषाक्त होती हैं और इनके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते। यह न केवल कृमियों को नष्ट करने में सहायक है बल्कि बच्चों की संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली को भी सशक्त बनाती है, जिससे संक्रमण का पुनः जोखिम कम हो जाता है।

उपरोक्त दवाएं होम्योपैथिक चिकित्सक के परामर्श से ही लेनी चाहिए ताकि सही मात्रा और दवा का चयन किया जा सके।

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